18 फरवरी, 2009 को भारत के उपराष्ट्रपति महामहिम हामिद अंसारी का अपने गृहजनपद गाजीपुर (उ.प्र.) के अपने पैतृक नगर यूसुफपुर मुहम्मदाबाद में प्रथम आगमन का क्षण निश्चित रुप से जितना अविस्मरणीय, सुखद उनके लिए था, शायद उससे कहीं उत्साहवर्धक गाजीपुर के आम लोगों के लिए था। उन्होंने अपने भाषण में मुहम्मदाबाद की धरती पर विलम्ब से जाने के लिए शर्मिन्दगी भी महसूस की, जिसे लोगों ने उनकी महानता के तौर पर स्वीकार किया। बचपन के अपने स्कूली जीवन का स्मरण करते हुए उन्होंने अपने आधुनिक और बुनियादी शिक्षा के महत्व को विशेष रुप से रेखांकित किया। उन्होंने बचपन के अपने गुरु पं. शिवकुमार शास्त्री से ज्ञानार्जन का उल्लेख करते हुए गुरु शिष्य परंपरा के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
राष्ट्र की सेवा में समर्पित गाजीपुर के महाविभूतियों में उपराष्ट्रपति महामहिम हामिद अंसारी का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया है। गाजीपुर को अपने ऐसे सपूत पर गर्व है। किन्तु आम जन के मन में एक कसक जरुर रह गई। महामहिमआए, ठहरे, स्वागत समारोहों में भाषण दिए और चले गए। मगर सिर्फ और सिर्फ यूसुफपुर मुहम्मदाबाद के नाम का उल्लेखकिया। गाजीपुर के नाम की चर्चा एकाध बार भी क्यों नहीं। बहरहाल, गाजीपुर अपने सच्चे सपूत हामिद अंसारी द्वारा महामहिम उपराष्ट्रपति के रुप में देश की सेवा करने में गौरवान्वित महसूस करता है।

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