tag:blogger.com,1999:blog-2621136095984643314.post1879719551008571801..comments2023-08-01T13:40:32.678+05:30Comments on ज़मानियाँ: दरकिनार है भाषा की शुद्धता का सवाल - 2कुमार शैलेन्द्रhttp://www.blogger.com/profile/08969764011265680668noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2621136095984643314.post-83934276691480125552008-07-14T14:49:00.000+05:302008-07-14T14:49:00.000+05:30मुझे लगता है कि संस्कृत से हिन्दी का जन्म होते ही ...मुझे लगता है कि संस्कृत से हिन्दी का जन्म होते ही उर्दू का हमला हुआ होगा .हिन्दी का व्याकरण शास्त्र काफ़ी मजबूत और अमीर दिखते हुए ढंग से सजा संवार भी नही पाया अपने साहित्य को तभी अंग्रेजी सामने आ गई .<BR/>समय की कमी के कारण हमने कुछ शब्द उर्दू से कुछ अरबी से कुछ फ़ारसी से भी लिए ,और आजतक चिपकाए फ़िर रहे हैं. <BR/>उर्दू बोलने -सुनने में अच्छा लगता है तो शुद्ध हिन्दी बोलते -सुनते कम नही गुदगुदी करता है .वह क्या बोलता है ! वाह क्या लिखता है ! हिन्दी के साथ भी वर्षों से जुड़ा है ,रहेगा भी .<BR/>संस्कृत देवभाषा होते हुए अपने आप प्राचीनतम भाषा हो गई .इन उर्दू ,फारसी ,अरबी के शब्द की जगह संस्कृत के शब्द कब स्थापित होंगे .जबकि अधिकांश क्षेत्रीय भाषा संस्कृत की गोद में ही खेल रही है.<BR/><BR/>"शब्दों के सफर" पर अजित भाई से अनुरोध कर आया हूँ कि संस्कृत से कितनी भाषाओँ ने शब्द उधार लिए है इसकी भी गणना की जाए . <BR/><BR/>टिपण्णी मेरी अटपटा तो होती ही है ये कुछ ज्यादा अटपटा लगे तो क्षमा चाहूँगा. वाणिज्य का होकर हिन्दी पर <BR/>सटीक टिपण्णी देने का साहस नही है .फ़िर भी क्रमशः पढ़ता रहूँगा , टिपण्णी देता रहूँगा .<BR/>सजग करता आपके इस आलेख श्रृंखला के लिए साधुवाद !संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2621136095984643314.post-54319153374116268952008-07-14T12:36:00.000+05:302008-07-14T12:36:00.000+05:30अच्छा लिखा है।ऊर्दू के बारे में बहुत सी भ्रान्त धा...अच्छा लिखा है।<BR/><BR/>ऊर्दू के बारे में बहुत सी भ्रान्त धारणाएं फ़ैला दी गयीं हैं; जैसे कि उच्चारण। ऊर्दू लिपि इतनी अवैज्ञानिक एवं अपोर्ण है कि वह हिन्दी के बहुत से ध्वनियों को अभिव्यक्त करने में अक्षम है।<BR/>देवनागरी इस मामले में विश्व की लिपियों में बहुत ऊँचा स्थान रखती है। इसके वर्णों की व्यवस्था अनुपम है। इतना पहले इसे प्राप्त कर लिया गया यह घोर आश्चर्य का विषय है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com